इसके अंतर्गत (अ) ऊर्ध्वाधर प्रदीप्ति और (ब) तिर्यक् प्रदीप्ति विधियाँ आती हैं।
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इसके अंतर्गत (अ) ऊर्ध्वाधर प्रदीप्ति और (ब) तिर्यक् प्रदीप्ति विधियाँ आती हैं।
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अ. ऊर्ध्वाधर प्रदीप्ति (Vertical illumination)-इस विधि में कल्पना की जाती है कि एक कल्पित प्रकाशपुंज भूमि के ऊपर प्रकाशित हो रहा है, जिसका प्रकाश ढाल के उतार चढ़ाव के क्रम के अनुसार कम बेशी होता है अपेक्षाकृत चपटे भाग हलकी छाया से दिखलाए जाते हैं।
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अ. ऊर्ध्वाधर प्रदीप्ति (Vertical illumination)-इस विधि में कल्पना की जाती है कि एक कल्पित प्रकाशपुंज भूमि के ऊपर प्रकाशित हो रहा है, जिसका प्रकाश ढाल के उतार चढ़ाव के क्रम के अनुसार कम बेशी होता है अपेक्षाकृत चपटे भाग हलकी छाया से दिखलाए जाते हैं।